अष्टांग नमस्कार योग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसे “आठ अंगों की मुद्रा” भी कहा जाता है। यह मुद्रा शरीर को लचीला और मज़बूत बनाने में मदद करती है। इस लेख में, हम अष्टांग नमस्कार को चरण दर चरण कैसे करें, इसके स्वास्थ्य लाभ, सही तकनीक, और इसे अपने दैनिक योग अभ्यास में कैसे शामिल करें, इसकी विस्तृत जानकारी प्रदान करेंगे।
अष्टांग नमस्कार क्या है?
अष्टांग नमस्कार एक पारंपरिक योग मुद्रा है, जिसमें शरीर के आठ अंग—दो हाथ, दो पैर, दो घुटने, छाती और ठोड़ी—मिट्टी को छूते हैं। यह मुद्रा सूर्य नमस्कार के दौरान उपयोग की जाती है और इसे शरीर और मन को शुद्ध करने और आध्यात्मिक उन्नति के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
अष्टांग नमस्कार के स्वास्थ्य लाभ
अष्टांग नमस्कार केवल एक शारीरिक मुद्रा नहीं है, बल्कि इसका योग अभ्यास में एक गहरा महत्व है। इसके कुछ प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं:
1. शारीरिक शक्ति और लचीलापन: अष्टांग नमस्कार शरीर के प्रमुख मांसपेशियों को सक्रिय करता है, जिससे शरीर की लचीलापन और शक्ति में सुधार होता है।
2. पीठ और रीढ़ की सेहत: यह मुद्रा रीढ़ की हड्डी को सीधा करने में मदद करती है और पीठ के दर्द से राहत दिलाने में सहायक है।
3. मानसिक शांति: यह मुद्रा तनाव को कम करती है और मन को शांत करने में मदद करती है, जिससे ध्यान में गहराई मिलती है।
4. रक्त संचार में सुधार: शरीर के आठ अंगों के धरती से संपर्क करने के कारण, रक्त संचार में सुधार होता है।
5. आंतरिक अंगों की मालिश: यह मुद्रा शरीर के आंतरिक अंगों की मालिश करती है, जिससे पाचन तंत्र और हृदय प्रणाली को बल मिलता है।
अष्टांग नमस्कार को चरण दर चरण कैसे करें
यहाँ अष्टांग नमस्कार को सही ढंग से करने की प्रक्रिया दी गई है:
चरण 1: प्रारंभिक स्थिति
+ सीधे खड़े होकर गहरी श्वास लें और दोनों हाथों को नमस्कार मुद्रा में जोड़ें।
+. पैरों को साथ में रखें और शरीर को स्थिर रखें।
चरण 2: आगे झुकाव (हस्त उत्तानासन)
+. श्वास छोड़ते हुए, अपने शरीर को आगे की ओर झुकाएं और अपने हाथों को नीचे जमीन पर रखें।
+. कोशिश करें कि आपके घुटने सीधे रहें और आपके हाथ आपके पैरों के पास जमीन को छूएं।
चरण 3: आसन के लिए तैयारी
+. अब धीरे-धीरे अपने पैरों को पीछे की ओर ले जाएं और अपना शरीर भूमि के समानांतर लाएं, जैसे कि आप एक सर्पिन मुद्रा में आ रहे हैं।
चरण 4: अष्टांग नमस्कार मुद्रा
+. श्वास छोड़ते हुए, शरीर के आठ अंगों—दो हाथ, दो पैर, दो घुटने, छाती और ठोड़ी—को जमीन पर टिकाएं।
+. इस स्थिति में आपकी पीठ थोड़ी सी उठी हुई रहेगी और आपके कूल्हे जमीन से ऊपर होंगे।
चरण 5: स्थिति को बनाए रखना
+ इस स्थिति में कुछ सेकंड तक रुकें, और धीमी श्वास लें।
+. इस दौरान आपकी ठोड़ी जमीन को छूनी चाहिए और आपकी पीठ को सीधा रखना चाहिए।
चरण 6: वापसी मुद्रा
+. धीरे-धीरे अपने पैरों को वापस आगे लाएं और फिर श्वास छोड़ते हुए अपने शरीर को उठाएं।
+. सीधी मुद्रा में खड़े हो जाएं और अपनी श्वास को सामान्य करें।
अष्टांग नमस्कार करते समय ध्यान देने योग्य बातें
अष्टांग नमस्कार को करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक है ताकि आप इसे सही ढंग से कर सकें और इससे अधिकतम लाभ प्राप्त कर सकें:
1. सही श्वास तकनीक: अष्टांग नमस्कार करते समय श्वास का सही तालमेल बहुत महत्वपूर्ण है। जब आप आगे झुकें तो श्वास छोड़ें, और जब आप मुद्रा में प्रवेश करें, तो धीरे-धीरे श्वास लें।
2. संतुलन बनाए रखें: इस मुद्रा को करते समय शरीर का संतुलन बनाए रखना महत्वपूर्ण है। अपनी कोहनी को सही स्थिति में रखें ताकि शरीर का भार समान रूप से वितरित हो।
3. शरीर के अंगों का सही संपर्क: सुनिश्चित करें कि आपके शरीर के सभी आठ अंग जमीन को छू रहे हों। यह मुद्रा के प्रभाव को बढ़ाता है।
4. आसन के दौरान धीमी गति: यह मुद्रा धीरे-धीरे और ध्यान से की जानी चाहिए। जल्दबाज़ी न करें, क्योंकि इससे चोट लगने का खतरा हो सकता है।
5. आराम से करें: अगर आपको किसी प्रकार का दर्द या असुविधा हो, तो इस मुद्रा को धीरे-धीरे छोड़ दें और आराम करें।
अष्टांग नमस्कार के लिए सुधार और परिवर्तनों के सुझाव
यदि आप एक शुरुआत कर रहे हैं या आपके शरीर में कठोरता है, तो आप अष्टांग नमस्कार में कुछ बदलाव कर सकते हैं:
1. घुटनों को जमीन पर रखें: यदि आप अपनी पीठ में तनाव महसूस करते हैं, तो घुटनों को जमीन पर टिकाने का अभ्यास करें।
2. श्वास को नियंत्रित करें: शुरुआती लोग श्वास और शारीरिक गति के तालमेल को धीरे-धीरे अभ्यास कर सकते हैं।
3. छोटी अवधि के लिए अभ्यास: शुरुआत में, इस मुद्रा को 10-15 सेकंड तक ही करें, और धीरे-धीरे अभ्यास बढ़ाएं।
अष्टांग नमस्कार को अपने योग अभ्यास में कैसे शामिल करें
आप अष्टांग नमस्कार को अपने दैनिक योग अभ्यास का हिस्सा बना सकते हैं:
1. सूर्य नमस्कार में जोड़ें: सूर्य नमस्कार की श्रृंखला में अष्टांग नमस्कार का स्थान महत्वपूर्ण है। इसे नियमित रूप से करने से आपके सूर्य नमस्कार में सुधार होगा।
2. अलग से अभ्यास करें: अगर आप इसे सूर्य नमस्कार के अलावा करना चाहते हैं, तो इसे रोज़ाना 5-10 बार दोहराएं।
3. ध्यान और प्राणायाम के साथ जोड़ें: इस मुद्रा को ध्यान और प्राणायाम अभ्यास के साथ जोड़ने से मानसिक शांति और एकाग्रता में सुधार होता है।
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सामान्य प्रश्न (FAQs)
1. अष्टांग नमस्कार को करने के लिए सही समय क्या है?
अष्टांग नमस्कार को प्रातः काल खाली पेट करना सबसे अच्छा माना जाता है। यह शरीर को ऊर्जावान बनाता है और दिन भर की थकान से बचाता है।
2. क्या अष्टांग नमस्कार पीठ दर्द में सहायक है?
हाँ, अगर सही तरीके से किया जाए, तो अष्टांग नमस्कार रीढ़ की सेहत को सुधारने और पीठ दर्द में आराम दिलाने में सहायक हो सकता है।
3. क्या शुरुआती लोगों के लिए अष्टांग नमस्कार कठिन है?शुरुआत में कुछ कठिनाई हो सकती है, लेकिन नियमित अभ्यास से यह सरल हो जाता है। आप शुरुआती रूपांतरों का उपयोग कर सकते हैं।
4. क्या अष्टांग नमस्कार वजन घटाने में मदद करता है?
अष्टांग नमस्कार कैलोरी जलाने में मदद करता है, जिससे वजन घटाने की प्रक्रिया को बढ़ावा मिलता है। यह शरीर को टोन करने में भी सहायक है।
5. अष्टांग नमस्कार और चतुरंगा दंडासन में क्या अंतर है?
अष्टांग नमस्कार में आठ अंगों का धरती से संपर्क होता है, जबकि चतुरंगा दंडासन में शरीर के केवल चार अंग (दो हाथ और दो पैर) धरती को छूते हैं।
6. क्या अष्टांग नमस्कार को रोज़ करना सुरक्षित है?
हाँ, यह मुद्रा रोज़ाना करने के लिए सुरक्षित है, बशर्ते आप इसे सही तकनीक के साथ करें और किसी प्रकार की चोट या असुविधा का अनुभव न करें।
निष्कर्ष
अष्टांग नमस्कार एक प्रभावशाली और संतुलित योग मुद्रा है, जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों के लिए फायदेमंद है। इसे नियमित अभ्यास में शामिल करने से न केवल शरीर में लचीलापन और शक्ति बढ़ती है, बल्कि मानसिक शांति और ध्यान में भी सुधार होता है। इसे चरण दर चरण करने का सही तरीका जानने से आप इस योग मुद्रा से अधिकतम लाभ प्राप्त कर सकते हैं।